मधुमेह को घर पर ठीक करने का सरल उपाय

आपका स्वास्थ्य आपके हाथों में है। अगर आप अपने खान-पान और आदतों को सुधार लें, तो मधुमेह को हराना मुश्किल नहीं।

आज के समय में मधुमेह (Diabetes) एक आम समस्या बन गई है। लोग दवाइयों पर निर्भर होते जा रहे हैं, जबकि सच यह है कि मधुमेह को घर पर ही सही खान-पान और जीवनशैली के ज़रिये नियंत्रित किया जा सकता है। सबसे पहले हमें यह समझना होगा कि यह बीमारी हमारी गलत आदतों और असंतुलित भोजन की देन है। अगर हम अपने भोजन को अनुशासित कर लें, तो मधुमेह पर काबू पाना मुश्किल नहीं है।


सुबह का नाश्ता – फल की ताकत

मधुमेह रोगी को दिन की शुरुआत फल से करनी चाहिए। नियम यह है कि रोगी का जितना वज़न (किलो में) है, उतने × 100 ग्राम फल सुबह खाए जाएँ।

  • उदाहरण: यदि किसी का वज़न 60 किलो है, तो उसे सुबह लगभग 600 ग्राम फल खाने चाहिए।
  • ध्यान रहे: केले, आम, अंगूर और चीकू जैसे मीठे फल कम लें।
  • अच्छे विकल्प हैं: सेब, अमरूद, संतरा, जामुन, पपीता आदि।

फल न केवल शुगर को संतुलित करते हैं बल्कि शरीर को आवश्यक विटामिन, खनिज और ऊर्जा भी देते हैं।


दोपहर का भोजन – सलाद और घर का खाना

दोपहर के भोजन से पहले सलाद खाना ज़रूरी है।

  • सलाद का नियम यह है कि सुबह खाए गए फलों का आधा भाग दोपहर और रात में बाँटकर खाएँ।
  • यानी अगर सुबह 600 ग्राम फल खाए गए, तो दोपहर में 300 ग्राम सलाद खाएँ।

सलाद में खीरा, गाजर, टमाटर, मूली, कच्ची लौकी, शिमला मिर्च और पत्तागोभी शामिल करें।
इसके बाद घर का सादा भोजन लें – जैसे 2 रोटी (गेहूँ + जौ + चना आटा), दाल, सब्ज़ी और दही।


रात का भोजन – हल्का और संतुलित

रात के खाने का नियम भी वही है – पहले सलाद, फिर हल्का भोजन।

  • रात का खाना हमेशा हल्का रखें।
  • सब्ज़ियों की खिचड़ी, या 1–2 रोटी के साथ हरी सब्ज़ी एक अच्छा विकल्प है।

रात का खाना जल्दी खा लेना चाहिए ताकि शरीर को पचाने का समय मिले और नींद भी आरामदायक आए।


अतिरिक्त सुझाव

  • मीठा, तला-भुना, मैदा और पैक्ड फूड से बचें।
  • रोज़ाना 30–40 मिनट टहलें।
  • पानी पर्याप्त मात्रा में पिएँ।
  • तनाव से दूर रहें और समय पर सोएँ।

मधुमेह कोई ऐसी बीमारी नहीं है जिसे घर पर नियंत्रित न किया जा सके। बस ज़रूरत है अनुशासन, धैर्य और सकारात्मक सोच की। जब आप अपने भोजन को नियंत्रित कर लेते हैं, तो धीरे-धीरे शरीर में ऊर्जा बढ़ने लगती है, ब्लड शुगर संतुलित रहने लगता है और दवाइयों पर निर्भरता भी कम हो जाती है।

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